हड़प्पा सभ्यता
हड़प्पा सभ्यता Harappa Sabhyata In Hindi-
अक्सर पुरानी इमारते अपनी कहानियां बताती है| लगभग डेढ़ सौ साल पहले जब पंजाब में पहली बार रेलवे लाइनें बिछाई जा रही थी तो इस काम में जुटे इंजीनियरों को अचानक हड़प्पा पुरास्थल मिला | जो आधुनिक पाकिस्तान में रावी नदी के किनारे है|
उन्होंने सोचा कि यह एक ऐसा खंडहर है जहां से अच्छे इटे मिलेंगे यह सोचकर ही हड़प्पा के खंडहरों से हजारों ईटो को काट कर ले गए जिससे उन्होंने रेलवे लाइनें बिछाने शुरू कर दी इस कारण कई इमारतें पूरी तरह नष्ट हो गई|
हड़प्पा सभ्यता की खोज
हड़प्पा सभ्यता Harappa Sabhyata In Hindi;- 1920 में शुरुआती पूरा तत्वों ने इस स्थल को ढूंढा और तब पता चला कि यह खंडार उपमहाद्वीप के सबसे प्राचीन पुराने चेहरों में से एक है|क्योंकि इस इलाके का नाम उस समय हड़प्पा था| इसीलिए बाद में यहां से मिलने वाली सभी पुरातात्विक वस्तुओं और इमारतों का नाम हड़प्पा सभ्यता के नाम पर पड़ा है | हड़प्पा की पहली खुदाई 1921 में दयाराम साहनी द्वरा की गई थी| wikipedia
हड़प्पा सभ्यता का इतिहास
इन नगरो का निर्माण लगभग 4700 साल पहले हुआ था |
नगरो की विशेषताए
हड़प्पा सभ्यता Harappa Sabhyata In Hindi;- इन नगरों में से कई को दो या उससे ज्यादा हिस्सों में विभाजित किया गया था पश्चिमी भाग छोटा था लेकिन ऊंचाई पर बना हुआ था और पूर्वी हिस्सा बड़ा था लेकिन यह निचले हिस्से में था| ऊंचाई वाले भाग को पूरातत्वों ने नगर दुर्ग कहा(city fort) और निचले हिस्से को निचला नगर(lower down) कहा गया |
दोनों हिस्सों को चारदीवारीयो से घेरा गया था जो पक्की ईंटो से बनाई गई थी ये इंटे अच्छी तरह से पक्की हुई थी जिसकी दीवार हजारों साल बाद आज तक खाड़ी रही दीवार बनाने के लिए ईंटो की चुनाई इस तरह से करते थे जिससे ये दीवारे सालो साल खाड़ी रहे |
कुछ नगर नगरो के दुर्ग में कुछ खास इमारते बनाई गई थी मिसाल के तौर पर मोहनजोदड़ो में एक खास तालाब बनाया गया था जिसे पूरा तत्वों ने महान स्नानागार कहा था| इस तालाब को बनाने में ईंट और प्लास्टर का इस्तेमाल किया गया था इसमें पानी का रिसाव रोकने के लिए प्लास्टर के ऊपर चारकोल की परत चढ़ाई गई थी|
इस सरोवर में दो तरफ से उतरने के लिए सीढ़ियां बनाई गई थी और चारों और कमरे बनाए गए थे इसमें भरने के लिए पानी कुँए से निकाला जाता था उपयोग के बाद इसे खाली कर दिया जाता था| सयाद यहाँ विशिष्ट नागरिक विशेष अवसरों पर स्नाना किया करते थे कालीबंगा और लोथल जैसे अन्य नगरों में अग्नि कुंड मिले है संभोता यहाँ यज्ञ किए जाते होंगे|
मोहनजोदड़ो और लोथल जैसे नगरो में बड़े-बड़े भंडारगृह मिले है इन नगरो के घर आमतौर पर एक या दो मंजिले होते थे घर के आंगन के चारों ओर कमरे बनाए जाते थे इसके अलावा अधिकांश घरों में अलग-अलग स्नानागार भी होते थे और कुछ घरों में तो कूए भी होते थे |
सड़क एवं जल प्रबंधन
हड़प्पा सभ्यता Harappa Sabhyata In Hindi;- हड़प्पा सभ्यता के कई नगरों में ढके हुए नाले थे| इन्हें सावधानी से सीधी लाइन में बनाया गया था| हर नाली में हल्की ढलान होती थी| ताकि पानी आसानी से बिना रुके बह सके अक्सर घरों की नालियों को सड़कों की बड़ी नालियों से जोड़ दिया जाता था| जो बाद में बड़े बड़े नालों में जा कर मिल जाती थी|
नाले ढके होने के कारण इनमें जगह-जगह पर मेनहोल बनाए गए थे| जिनके जरिए समय समय पर इनकी देखभाल और सफाई की जा सके|
घर नाले और सड़कों का निर्माण योजनाबद्ध तरीके से एक साथ ही किया जाता था | सड़के एक दुसरे को समकोण पर काटती थी सड़को के किनारे नालिया बनाई जाती थी | इन सभी बातों को देखते हुए हमें पता चलता है कि हड़प्पा सभ्यता 4500 साल पहले भी कितनी विकसित एवं सभ्य थी |
नगरीय जीवन
हड़प्पा सभ्यता Harappa Sabhyata In Hindi;- उन दिनों हड़प्पा के नगरों में बड़ी हलचल रहा करती होगी | यहां पर ऐसे लोग रहते होंगे जो नगर की खास इमारतो को बनाने की योजना में जुटे रहते होंगे|संभवत ये यहां के शासक थे यह भी संभव है कि यह शासक लोगों को भेजकर दूर-दूर से धातु बहुमूल्य पत्थर और अन्य उपयोगी चीजें मंगवाते थे शायद शासक लोग खूबसूरत मनको तथा सोने चांदी से बने आभूषणों जैसी कीमती चीजों को अपने पास रखते होंगे|
इन नगरों में लिपिक भी होते थे| जो मुंहरो के ऊपर तो लिखते ही थे और शायद अन्य चीजों पर भी लिखते होंगे जो बच नहीं पाई है| इसके अलावा नगरों में शिल्पकार स्त्री पुरुष में रहते थे जो अपने घर हो या किसी अन्य स्थल पर तरह-तरह की चीजें बनाते होंगे |
परिवहन एवं व्यपार
हड़प्पा सभ्यता Harappa Sabhyata In Hindi;- हड़प्पा में लोगों को कई चीजें वही मिल जाया करते थे लेकिन तांबा लोहा सोना चांदी और बहुमूल्य पदार्थों का दूर-दूर से आयत करते थे| हड़प्पा के लोग तांबे का आयत संभवता आज के राजस्थान से करते थे| यहां तक कि पश्चिमी एशियाई देशों से भी तांबे का आयात किया जाता था|
कांसा बनाने के लिए तांबे के साथ में मिलाई जाने वाली धातु टीन का आयात आधुनिक ईरान और अफगानिस्तान से किया जाता था| सोने का आयात आधुनिक कर्नाटक और बहुमूल्य पत्थर का आयात गुजरात ईरान और अफगानिस्तान से किया जाता था| इससे हमें पता चलता है की हड़प्पा सभ्यता के लोग हजारों साल पहले आयात और निर्यात के द्वारा व्यापार भी किया करते थे |
हड़प्पा सभ्यता के लोग लंबी दूर की यात्राएं भी करते थे | और वहां से अपने लिए उपयोगी वस्तुएं लाया करते थे | और सुदूर देशों के जहा वे जाते थे वहा की किस्से कहानियां एवं संस्क्रती की जानकारी भी लाते थे|
खुदाई से मिली वस्तुए
हड़प्पा सभ्यता Harappa Sabhyata In Hindi;– हड़प्पा सभ्यता की खुदाई के दौरान मिट्टी से बने कई खिलौने भी मिले हैं जिनसे उस समय के बच्चे खेला करते होंगे | यहा कुम्हार का चाक , श्रमिक आवस ,अन्नागार , RH37 नाम का कबरिस्तान, मातृदेवी कि मुरति , ओखली, ताबूत,हाथी कि खोपड़ी आदि प्रप्त हुये है | हड़प्पा के नगरों से प्राप्त हुए पूरा तत्वों को जो चीजें मिली है उनमें अधिकतर पत्थर,शंख,तांबे,कांसे और सोना चांदी जैसी धातुओं से बनाई गई थी| तांबे और कांसे से हथियार और बर्तन बनाए जाते थे| यहां मिली सबसे आकर्षक वस्तुओं में मनके, बाट, फलक और मातृदेवी कि मुर्ति है |
मुहरे एवं बर्तन
हड़प्पा सभ्यता Harappa Sabhyata In Hindi;- हड़प्पा सभ्यता के लोग पत्थरो की मुहरे बनया करते थे | जिन पर सामान्य जानवरों के चित्र मिलते हैं| सबसे अधिक एकश्रृंगीय जानवर के चिनह थे | हड़प्पा सभ्यता के लोग बर्तनो को लाल मिट्टी से बनते थे| जिन पर काले रंग के खूबसूरत कालाकृतिया होती थी |
कृषि और पशुपालन
हड़प्पा सभ्यता Harappa Sabhyata In Hindi;- लोग नगरो के अलवा गाँवो में भी रहा करते थे| वे लोग अनाज उगते एवं जानवर पालन करते थे| किसान और चरवाहे शहरों में रहने वाले शासकों एवं लेखकों और दस्त कारों को खाने के सामान दिया करते थे| पौधों के अवशेषों से पता चलता है कि हड़प्पा के लोग गेहूं, जौ, डाले मटर ,धान, तिल और सरसों आदि उगते थे|
उस समय जमीन की जुताई के लिए हल प्रयोग एक नई बात थी| हड़प्पा काल के हल तो नहीं बच पाए हैं क्योंकि वे प्राय लकड़ी से बनाए जाते थे लेकिन हल के आकार के खिलौने मिले हैं इससे यह साबित होता है कि उस समय खेती के लिए हलो का प्रयोग भी किया जाता था|
हड़प्पा के लोग गाय भैंस भेड़ और बकरियों पालते थे बस्तियों के आसपास तालाब और चारागाह होते थे लेकिन सूखे महीनों में मवेशियों के झंडों को चारा पानी की तलाश में दूर-दूर तक ले जाया जाता था| वे बेर जैसे फलों को इकट्ठा करते थे मछलियां पकड़ते थे और हिरण जैसे जानवरों का शिकार भी किया करते थे|
गुजरात में हड़प्पा कालीन नगरो का खोज
हड़प्पा सभ्यता Harappa Sabhyata In Hindi;-कचछ के इलाके में खादिर बेट के किनारे धोलावीरा नगर बसा था वह सफ पानी मिलता था और जमीन उपजाऊ थी| जहां हड़प्पा सभ्यता के कई नगर दो या उसे अधिक भागों में विभक्त था| धोलविरा नगर को तीन भागों में बांटा गया था | इसके हर हिस्से के चारो और पत्थर की ऊंची दीवार बनाई गई थी| इसके अंदर जाने के लिए बड़े-बड़े प्रवेश द्वार थे इस नगर में खुला मैदान भी था जहां सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे|
यह मिले कुछ अवशेषों में हड़प्पा लिपि के बड़े बड़े अक्षरों को पत्थरों में खुदा पाया गया है इन अभिलेखों को संभवत लकड़ी में जोड़ा गया था यह अनोखा अवशेष है क्योंकि आमतौर पर हड़प्पा के लेख मुहर जैसी छोटी वस्तु पर ही पाए जाते हैं| गुजरात की खंभात की खाड़ी में मिलने वाली साबरमती नदी के किनारे बसा लोथल नगर ऐसे स्थान पर बसा था जहां कीमती पत्थर जैसा कच्चा माल आसानी से मिल जाता था|
यह पत्थर और धातुओं से बनाई गई चीजों का एक महत्वपूर्ण केन्द्र था| इस नगर मे एक भंडारगृह भी था| यहा पर एक इमरत भी मिली है जहां संभवतः मनके बनाने का काम होता था| पत्थर के टुकड़े आधे अधूरे मनके,मनके बनाने वाले उपकरण और पूरी तरह तैयार मनके भी यहा मिले है|
हड़प्पा सभ्यता के अंत का रहस्य
हड़प्पा सभ्यता Harappa Sabhyata In Hindi;- आज से लगभग 3900 साल पहले हड़प्पा सभ्यता में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलता है अचानक लोगों ने अपने नगरो को छोड़ दिया| मोहरो एवं लेखन और बाटो का प्रयोग बंद हो गया, दूर-दूर से कच्चे माल का आयात भी काफी कम हो गया था, मोहनजोदड़ो में सड़कों पर कचरे के ढेर बनने लगे जल निकास प्रणाली नष्ट हो गई और सड़कों पर ही लोग जोगी नुमा घर बनाए जाने लगे आखिर यह सब क्यों हुआ यह आज भी एक रहस्य है|
कुछ विद्वानों का कहना है कि नदियां सूख गई थी अन्य का कहना है कि जंगलों का विनाश हो गया था इसका कारण यह हो सकता है कि ईंटे पकाने के लिए इंधन की जरूरत पड़ती थी जिसके लिए उन्होंने जंगलों को काटा होगा इसके अलावा मवेशियों के बड़े-बड़े झंडों से चारागाह और घास वाले मैदान समाप्त हो गए होंगे कुछ इलाकों में बाढ़ आ गई लेकिन इन कारणों से यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि सभी नगरों का अंत कैसे हो गया क्योंकि बाढ़ और नदियों के सूखने का असर तो कुछ ही इलको में हुआ होगा
ऐसा लगता है कि उस समय के शासकों का नियंत्रण समाप्त हो गया था| अधुनिक समय के पाकिस्तान के सिंध और पंजाब की बस्तियां उजड़ गई थी कई लोग पूर्व और दक्षिण के इलको में नई और छोटी बस्तियों में जाकर बस गए इसके लगभग 14 साल बाद नई नगरों का विकास हुआ
इन्हें भी पढ़े :-
रूस – यूक्रेन युद्ध का कारण-USSR / NATO क्या है?
Computer के पार्ट्स – कंप्यूटर इन हिंदी