पृथ्वी देव द्वितीय के रतनपुर शिलालेख में सामंत वल्लभराज की पत्नी के सती होने के साक्ष्य स्पष्ट करते हैं कि न केवल राजा वरन सामंत एवं अन्य योद्धाओं की क्षत्राणियां भी सती होने में अग्रणी थी। समाज के प्रमुख तीन वर्णो में ब्राम्हण, क्षत्रीय एवं वैश्य में सती प्रथा को प्रमाणित करने वाले सती स्तंभ के साक्ष्य प्राप्त हुये है। भोरमदेव में भिन्न भिन्न विशेषताएं लिए अनेक सती स्तंभ स्वयमेव सिद्ध करते हैं कि सती प्रथा का प्रचलन समाज में कम नहीं थी

कल्चुरीकालीन साक्ष्य – Cultural evidence
सती प्रथा परंपरा का निर्वहन कल्चुरीकालीन समाज में भी किए जाने का साक्ष्य संपूर्ण छत्तीसगढ़ में पाए जाते हैं। जाजल्लदेव द्वितीय के शिवरीनारायण शिलालेख क्र. 919 में सती प्रथा का स्पष्ट उल्लेख मिलता है। राजा उल्हणदेव की तीनों पत्नियों ने पति की चिता में सदेह प्रवेश कर सती प्रथा का उजागर किया था। मल्हार, भोरमदेव, खैरागढ़ और राजनांदगांव संग्रहालय में सती प्रथा को उजागर करती अनेक प्रतिमाएं आज भी संग्रहित कर रखी गई हैं। व्यक्तिगत सती प्रथा के साथ-साथ सामूहिक सती प्रथा के साक्ष्य भी मिलते हैं।
पृथ्वी देव द्वितीय के रतनपुर शिलालेख में सामंत वल्लभराज की पत्नी के सती होने के साक्ष्य स्पष्ट करते हैं कि न केवल राजा वरन सामंत एवं अन्य योद्धाओं की क्षत्राणियां भी सती होने में अग्रणी थी। समाज में प्रमुख तीन वर्णो ब्राम्हण, क्षत्रीय एवं वैश्य में सती प्रथा का चलन था।
सती प्रथा क्या है?- What is Sati Pratha?
सती प्रथा का पहला पुरातात्विक साक्ष्य हमें 510 ई. के एरण अभिलेख से मिलता है जो राजा भानुगुप्त का है। इस प्रथा के अनुसार अगर किसी विवाहित स्त्री का पति की मृतु हो जाता है तो उस स्त्री को अपने पति के साथ उसी चिता में जिन्दा जलना होता था। इस प्रथा का अंत 1829 में राजा राम मोहन राय द्वारा किया गया था।
सती स्तंभ क्या है?- What is sati pillar?

सती स्तंभ ऐसे स्तंभ होते है जिनपर मृत राजाओ के नाम और उनके साथ सती हुई रानियों की संख्या, चित्र और मृत्यु तिथि लिखी होती है भोरमदेव में भिन्न भिन्न विशेषताएं लिए अनेक सती स्तंभ स्वयमेव सिद्ध करते हैं कि सती प्रथा का प्रचलन समाज में कम नहीं थी। सती स्तंभ के ऊपरी हिस्से में चूड़यों से भरे एक हाथ के अंकन से ज्ञात होता है कि मृत पुरूष एक पत्नी का स्वामी था तथा दो हाथों के अंकन से स्पष्ट होता है कि दो पत्नियां अवश्य ही मृत पुरूष की रही होगी।
FAQ :-
1. सती प्रथा का अंत किसने किया?
उतर – राजा राम मोहन राय द्वारा
2. जाजल्लदेव द्वितीय के किस शिलालेख में सती प्रथा का स्पष्ट उल्लेख मिलता है?
उतर – शिवरीनारायण शिलालेख क्र. 919 में
3. छतीसगढ़ में कंहा कंहा सती प्रथा के साक्ष्य भी मिलते हैं?
उतर – मल्हार, भोरमदेव, खैरागढ़ और राजनांदगांव में सती प्रथा के साक्ष्य भी मिलते हैं
4. समाज के किन प्रमुख वर्णो में सती प्रथा का चलन था?
उतर – समाज में प्रमुख तीन वर्णो ब्राम्हण, क्षत्रीय एवं वैश्य में सती प्रथा का चलन था।
5. सती प्रथा का पहला पुरातात्विक साक्ष्य हमें कहा से मिलता है?
उतर – सती प्रथा का पहला पुरातात्विक साक्ष्य हमें 510 ई.एरण अभिलेख से मिलता है
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