***Parliament of India***
भारतीय संसद ….जिसमे हमरे देश की सम्पूर्ण सम्प्र्भुकता निहित है, संसद से ही पुरे देश का संचालन किया जाता है। सबसे पहले संसद की सुरूवात ब्रिटेन से हुई थी, इस लिए ब्रिटेन को संसद की जननी कहते है। संसद शब्द की उत्पति फ्रांस से हुई है।
भारतीय संसद सवतंत्र सम्प्र्भुकत है। भारतीय संसद अपने आन्तरिक एवं बाहरी फैसले लेने के लिए सवतंत्र है जिसके ऊपर कोई राज्य या किसी देश द्वारा कोई भी दबाव नहीं डाल जा सकता। भारतीय संसद किसी भी अंतर्राष्ट्रीय संधि को लागु कर सकती है, बिना किसी राज्य की अनुमति के….wikipadia
भारतीय संसद भवन का इतिहास / निर्माण:-
भारतीय संसद के तीन अंग कौन कौन से हैं?
भारतीय संसद का निर्माण 1921 में चालू हुआ था जो 1927 में जाकर पूरा हुआ | इसके निर्माणकर्ता लुटियन बेकर थे | भारतीय संविधान संसद की चर्चा अनुच्छेद 79 में किया गया है |हमरे भारतीय संसद के 3प्रमुख अंग है(लोक सभा, राज्य सभा, राष्टपति)
भारतीय संसद के कितने सदन हैं?
संसद में बैठने वाले व्यक्ति को सांसद(Member of Parliament) कहते है भारतीय संसद को दो सदनों में बाटा गया है- 1.लोक सभा 2.राज्य सभा
सदनों की अवधि:-
* लोक सभा एक अस्थाई सदन है, लोक सभा एवं इसके सदस्यों का कार्य अवधि 5 वर्ष का होता है|
* राज्य सभा एक स्थाई सदन है, इस लिए इसकी कोई कार्य अवधि नहीं है किन्तु राज्य सभा में बैठने वाले सदस्यों की कार्य अवधि 6 वर्ष होती है |
संसद की बैठक/सत्र:-
बैठक(session) | सत्र या अधिवेशन | समय |
पहली बैठक | बजट अधिवेशन | फ़रवरी – मई |
दूसरी बैठक | मानसून अधिवेशन | जुलाई – अगस्त |
तीसरी बैठक | शीतकालीन अधिवेशन | नवम्बर – दिसम्बर |
राष्टपति द्वरा संसद भवन में सभी सांसदो की बैठक बुलाई जाती है जिसे संसद का सत्र या अधिवेशन कहते है | संसद की बैठक बुलाने का अधिकार राष्टपति के पास होता है, संसद की बैठक साल में तीन बार बुलाई जाती है, बुलाने की प्रक्रिया को संसद का आहुत कहते है एवं संसद सत्र की सम्पति के बाद सांसदों को वापसी भेजा जाता है जिसे सत्रावसान कहते है |
लोग सभा एवं राज्य सभा के अधिकारी:-
- लोक सभा के अधिकारी को अध्यक्ष(Speaker) और उपअध्यक्ष(Deputy Speaker) कहते है
- राज्य सभा के अधिकारी को सभापति और उप सभापति कहते है
सभापति एवं उपसभापति:-
सविधान के अनुच्छेद 89 के तहत भारत के उपराष्ट्रपति को राज्य सभा का सभापति बनया जाता है, जो राज्य सभा का संचालन करता है जिसे पीठासीन कहते है | सभापति संसद का सदस्य नहीं होता, सभापति के अनुपस्थिति में राज्य सभा का संचालन उपसभापति करते है।
अध्यक्ष एवं उपअध्यक्ष:-
लोक सभा के अध्यक्ष एवं उपअध्यक्ष का चुनाव लोक सभा के सदस्यों द्वरा उन्ही में से एक सदस्य को चुना जाता है, अध्यक्ष लोक सभा का सदस्य होता है | इनका कार्यकाल लोक सभा के कार्यकाल तक रहता है. इनको अलग से शपथ नहीं देना होता,लोक सभा का पीठासीन अध्यक्ष होता है |
गणपूर्ति या कोरम:-
संसद के किसी भी सदन की कार्यवाही के लिए कुल सदस्यों की संख्यान में 1/10 (10%) सदस्यों की उपस्थिति होना जरुरी है, इसे कम सदस्यों की अनुपस्थिति में सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया जाता है इसे ही गणपूर्ति या कोरम कहते है |
राष्टपति का अभिभाषण:-
संविधान के अनुच्छेद 86 के तहत संसद के किसी भी सत्र के दवारान अगर राष्टपति संसद के किसी एक सदन या दोनों सदन को संबोधित करते है उसे राष्टपति का अभिभाषण कहते है
राष्टपति का विशेष अभिभाषण:-
संविधान के अनुच्छेद 87 के तहत राष्टपति प्रत्येक वर्ष के प्रथम बैठक(बजट सत्र) को तथा नवनिवार्चित लोक सभा को, जब राष्टपति द्वरा भाषण दिया जाता है इसे राष्टपति का विशेष अभिभाषण कहते है, यह अभिभाषण दोनों सदनों को एक साथ बुलाकर सयुक्त रूप से दिया जाता है |
अध्यादेश(ordinances) :-
अध्यादेश आपातकाल में लाया जाता है, जब संसद का कोई भी अधिवेशन नहीं चल रहा हो और देश में कोई आपातकालीन स्थिति पयदा हो गई हो तब मंत्रिमंडल की सलह पर राष्टपति संविधान के अनुच्छेद 123 के तहत अध्यादेश लाकर कोई भी कानून बना सकता है जिसे बाद में संसद द्वरा 42 दिन के भीतर लोक सभा और राज्य सभा से पारित करना होता है |
इसी प्रकार किसी राज्य में कोई आपातकाल की स्थिति पयदा होने पर उस राज्य का राज्यपाल अध्यादेश जरी कर सकता है
लोक सभा और राज्य सभा में अंतर:-
लोक सभा(house of people):-
1. लोक सभा के सदस्यों का चुनाव जनता द्वरा प्रत्यकक्ष रूप से किया जाता है इस लिए इसे लोकप्रिय सदन या चर्चित सदन कहते है |
2. लोक सभा का कार्यकाल 5 वर्षो का होता है|
3. लोक सभा में जिस पार्टी के पास अधिक बहुमत होता है उसी पार्टी से प्रधानमंत्री चुना जाता है इसे प्रथम सदन कहते है |
4. लोक सभा के सदस्यों को बहुमत ख़त्म होने पर 5 वर्ष से पहले हटाया(विघटन) जा सकता है |
5. लोक सभा को भंग किया जा सकता है इस लिए उसे अस्थाई या निम्न सदन कहते है
6. लोक सभा का चुनाव लड़ने के लिए उमीदवार की आयु 25वर्ष होनी चाहिए इस लिए इसे युवाओ का सदन कहते है |
7. लोक सभा के अधिकारी को अध्यक्ष(Speaker)और उपअध्यक्ष(Deputy Speaker) कहते है, जिनकी नियुक्ति लोक सभा के सदस्य करते है
8. लोक सभा के सदस्यों की अधिक्तम संख्या 552 होती है
8. लोक सभा में राष्टपति संविधान के अनुच्छेद 331 के तहत 2 आंग्ल भारतीय को मनोनीत करते है |
राज्य सभा:-
1. राज्य सभा के सदस्यों का चुनाव अप्रत्यकक्ष रूप से किया जाता है
2. राज्य सभा के सदस्यों का कार्यकाल 6वर्षो का होता है|
3. राज्य सभा में अधिक बहुमत होने पर भी है उस पार्टी से प्रधानमंत्री नहीं चुना जाता है इस लिए इसे द्वितीय सदन कहते है |
4. राज्य सभा का (विघटन) नहीं किया जा सकता इस लिए इसे स्थाई या उच्च सदन कहते है|
5. राज्य सभा के चुनाव के लिए की आयु 30वर्ष होनी चाहिए इस लिए इसे
6. राज्य सभा के अधिकारी को सभापति और उप सभापति कहते है |
7. राज्य सभा के सदस्यों की अधिक्तम संख्या 250 होती है
8. राज्य सभा में राष्टपति संविधान के अनुच्छेद ( 80 का ) के तहत 12 सदस्यों को मनोनीत करते है |
संसद के सदस्यों की योग्यता:-
- संसद का सदस्य बनने के लिए उस व्यक्ति को भारत का नागरिक होना चाहिए
- उस व्यक्ति का मतदाता सूचि में नाम होना चाहिए
- वह व्यक्ति पागल या दिवालिया(कर्जदार) नहीं होना चाहिए
- किसी भी सासकीय पद पर नहीं होना चाहिए
- उमीदवार की आयु कम से कम लोक सभा के लिए -25 वर्ष और राज्य सभा के लिए 30 वर्ष होनी चाहिए
विधेयक(Bill) या कानून(ACT) कैसे बनता है:-
सबसे पहले बड़े बड़े अधिकारी मिलकर मसोदा (Draft) तयार करते है जिसे बाद में मंत्री को दे दिया जाता है, इस मसोदा (Draft) को संसद किसी सदन(लोक सभा या राज्य सभा) में लाया जाता है जिसे विधेयक(Bill) कहते है
- प्रस्तुती
- चर्चा
- मतदान
- पारित
इस विधेयक को दोनों सदनों में से एक में पहले प्रस्तुत किया जाता है,इसके बाद इसके ऊपर चर्चा किया जाता है की इसमें क्या अच्छा है क्या कमी है इन सब विषय पर चर्चा किया जाता है, चर्चा होने के बाद उस विधेयक के ऊपर मतदान कराया जाता है की कितने लोग इस विधेयक के पक्ष में है और कितने लोग विपक्ष में है। जादा मतदान विधेयक के पक्ष में होने के बाद उस विधेयक को पारित कर दिया जाता है जिसे फिर दूसरी सदन में भेजा जाता है, वहा भी इसके ऊपर (प्रस्तुती, चर्चा, मतदान,) होने के बाद पारित किया जाता है। दोनों सदनों से पारित होने के बाद इस विधेयक को नाम देकर राष्टपति के पास भेजा जता है, राष्टपति जब इस विधेयक पर हस्ताक्षर कर देते है तब यह विधेयक कानून(act) बन जता है,जिसे पुरे देश में लागु कर दिया जाता है |
विधेयक के प्रकार:-
- संशोधन विधेयक
- साधारण विधेयक
- धन विधेयक
- वित्त विधेयक
संयुक्त अधिवेशन:-
संविधान के अनुच्छेद 108 तहत जब संसद के दोनों सदन लोक सभा और राज्य सभा के बीच गतिरोध होता है तब राष्टपति द्वरा संयुक्त अधिवेशन बुलया जाता है जिसकी अध्यक्षता लोक सभा का अध्यक्ष करता है, यह बैठक संसद के सेंट्रल हॉल में बुलया जाता है|
संयुक्त अधिवेशन बुलाने के तीन प्रमुख कारण है –
- जब एक सदन किसी विधेयक को पारित कर दुसरे सदन में भेजता है और वह सदन उस विधेयक को अस्वीकार कर देता है तब संयुक्त अधिवेशन बुलया जाता है
- जब एक सदन दुसरे सदन को कोई सुझाव देता है और वह सदन उसे अस्वीकार कर देता है तब संयुक्त अधिवेशन बुलया जाता है
- जब एक सदन द्वरा पारित विधेयक को दूसरा सदन छः महीने से जादा दिनों तक रोक देता है तब संयुक्त अधिवेशन बुलया जाता है |
भारतीय संसद के कार्य एवं शक्तियां:-
- विधायी शक्तिया (कानून बनना)
- वित्तीय शक्तिया (धन संबंधित)
- संविधान में परिवर्तन करने की शक्ति
- कार्यपालिका पर नियंत्रण की शक्ति
- निर्वाचन संबंधित शक्तिया (राष्टपति के निर्वाचन में )
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