डायबिटीज क्या है ? इन हिंदी

*** डायबिटीज ****

 भारत में डायबिटीज एक अभिशाप बन गया है। हर शहर के चौधे या पाँचवें घर में डायबिटीज का मरीज पाया जाता है। पिछले कुछ वर्षों में डायबिटीज के रोगियों की दर में वृद्धि हुई है। कुछ साल पहले लगभग 2 प्रतिशत युवा वर्ग इस रोग का शिकार था। पिछले बीसतीस सालों में यह संख्या तेजी से बढ़कर 8-10 प्रतिशत हो गई है।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का अनुमान है कि हमारे देश में वर्ष 2025 तक पाँच करोड़ सत्तर लाख लोग डायबिटीज के मरीज हो जायेंगे। इस रोग का अभी तक कोई पुख्ता इलाज नहीं मिला है लेकिन आधुनिक चिकित्सा में प्रगति के कारण मधुमेह का मरीज, आम आदमी की तरह चुस्त, सामान्य और उपयोगी जीवन जीने की आशा कर सकता है।  एड्स क्या है और कैसे होता है?

डायबिटीज क्या है ?

डायबिटीज के रोगी के खून में इनसुलिन (मधुमेह नाशक द्रव्य) की मात्रा कम होने के कारण, खून में शुगर (ग्लूकोस) हद से ज्यादा हो जाता है। जिसे  डायबिटीज या मधुमेह कहते है। शूगर का इस्तेमाल शरीर की कोशिकाओं में होता है, परन्तु शूगर को कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिये इनसुलिन की जरूरत पड़ती है।youTube

आप इसको इस तरह समझ सकते हैं, जैसे इनसुलिन एक कुंजी है जो शूगर को कोशिकाओं के अन्दर ले जाने के लिये उनके दरवाजे खोल देती है। इनसुलिन के बिलकुल न होने से या कम मात्रा में होने से खून में पैदा होने वाली शूगर शरीर की कोशिकाओं (cells) में नहीं जा सकती है और खून में अधिक मात्रा में इकट्ठी हो जाती है।

डायबिटीज बढ़ने से क्या होता है?

जब इनसुलिन की कमी के कारण शूगर शरीर की कोशिकाओं में नहीं जा पाती तो वह खून में इकट्ठी हो जाती है। जब यह एक हद को पार कर जाती है तो शूगर पेशाब में आनी शुरू हो जाती है। आम तौर पर पेशाब में शूगर नहीं पाई जाती है। जब शूगर पेशाब में आती है तो यह अधिक पानी अपने साथ खींच लेती है, जिसके कारण ज्यादा पेशाब आता है। ज्यादा पेशाब आने से शरीर का ज्यादा पानी निकलता है और ज्यादा प्यास लगती है। खून में ज्यादा शूगर होने के बावजूद, इनसुलिन की कमी के कारण, कोशिकाओं में शूगर पूरी मात्रा में नहीं होती। सैल्स में शूगर की मात्रा बहुत कम हो जाती है और ज्यादा भूख लगती है।wikipedia

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इसलिये शुगर का मरीज  ज्यादा खाना खाता है, पर फिर भी उसके शरीर की कोशिकाओं को सही मात्रा में शूगर नहीं मिलती। कोशिकाओं को ताकत की सख़्त जरूरत होती है। इसलिये ये कोशिकायें शरीर की चर्बी और प्रोटीन का इस्तेमाल करना शुरू कर देती हैं। यही कारण है कि मरीज का वज़न घटता जाता है और थकावट भी महसूस होती है। ख़ून में ज्यादा शूगर होने के कारण कुछ लोग चिड़चिड़े हो जाते हैं। कई बार ख़ून में बहुत ज्यादा शूगर होने के कारण मरीज़ बेहोश हो जाता है। डायबिटीज के मरीज को संक्रमण (infection) होने का ज़्यादा ख़तरा होता है। हो सकता है कई बार इस बीमारी का कुछ लोगो में कोई भी लक्षण न दिखे ।

डायबिटीज के लक्षण :-

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  • बार – बार या  ज्यादा पेशाब आना
  • गले का सुखना / अधिक प्यास लगना
  • ज्यादा भूख लगना |
  • अधिक वजन घटना
  • आधिक थकान लगना
  • हर बात में चिड़चिड़ना , मानसिक तनव

 डायबिटीज होने के क्या कारण हैं?

डायबिटीज के दो मुख्य कारण हैं:-

क्या डायबिटीज अनुवांशिक बीमारी है?

वंशक्रम (विरासत) से प्राप्तः-

डायबिटीज एक अनुवांशिक (जेनेटिक डिसऑर्डर) बीमारी है। जो कुछ ऐसे जन्मजात तत्त्वों के कारण जो हमें अपने माता-पिता से प्राप्त होते हैं।इन्ही से यह बीमारी माता-पिता से बच्चो में आती है, इसलिये यह बीमारी कुछ परिवारों में ज्यादा पाई जाती है। अगर माता या पिता में से एक को यह बीमारी है, तो 10-20 प्रतिशत संभावना है कि बच्चों को भी मधुमेह होगा और अगर माता-पिता दोनों को मधुमेह है तो फिर संभावना बढ़कर 20 50 प्रतिशत हो जाती है।

वातावरण और आदतों के कारण:-

  • मोटापा
  • शारीरिक आलस
  • व्यायाम की कमी
  • खाने में लापरवाही (जैसे फ़ास्ट फूड्स खाना)
  • जीवन के बदलते तौर तरीके

इन कारणों से उन लोगों में मधुमेह उभर सकता है जिन्हें वंशक्रम (विरासत) में मधुमेह रोग ग्रस्त होने के तत्त्व मिले हैं।

क्या सभी डायबिटीज रोगी एक प्रकार के होते हैं?

नहीं डायबिटीज के सभी मरीज एक समान नहीं होते। इन्हें दो मुख्य वर्गों में बाँटा जा सकता है:-

टाईप-1 IDDM ( इनसुलिन पर निर्भर डायबिटीज )

  • यह रोग छोटी आयु में हो जाता है।
  • मरीज़ जवान और दुबला पतला होता है।
  • बीमारी तेजी से बढ़ती है।
  • रोगी सारी जिन्दगी इनसुलिन पर निर्भर रहता है।

टाईप-2 डायबिटीज

  • चालीस वर्ष की आयु से अधिक आयु वाले लोगों को होता है।
  • रोगी का अधिकतर वजन ज्यादा होता है और चर्बी(FAT) भी होती है।
  • बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती है।
  • रोगी इनसुलिन पर पूरी तरह निर्भर नहीं होता, पर बीमारी को नियंत्रण में रखने के लिये इन्सुलिन की जरूरत पड़ती है।

डायबिटीज होने की सम्भावना:-

प्रथम स्तर की सम्भावनाउन लोगों पर लागू होता है जिनमें डायबिटीज होने की सम्भावना सबसे ज्यादा होती है। जो निम्न है-

  • आप के किसी खून के करीबी रिश्तेदार को डायबिटीज होना।
  • आप का वज्जन सामान्य से अधिक है; (M.I) 24 से अधिक है।
  • यदि आपको गर्भ के दौरान डायबिटीज हुआ था या आपके खून में शूगर थोड़ी ज्यादा मात्रा में थी।
  • शारीरिक रूप से आलसी हैं, अर्थात् सप्ताह में तीन बार से कम व्यायाम करना हैं। 
  • ब्लड प्रेशर ज्यादा होना।
  • पहले से मधुमेह के लक्षण हैं: बिना कुछ खाये खून में शुगर की मात्रा 110-126 मिलीग्राम प्रतिशत हो और खाना खाने के बाद 140 – 200 मिलीग्राम हो ।
  • खून में कोलेस्ट्रॉल (चर्बी या वसा) की मात्रा सामान्य से ज्यादा होना।

मधुमेह की रोकथाम के उपाय:-

प्रथम स्तर की रोकथाम:-

नीचे लिखे गये तरीके अपनाने से मधुमेह के रोकथाम में सफलता मिल सकती है:-

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  • अपना वजन सामान्य रखें या अगर वजन सामान्य से ज्यादा हो तो वजन को 5-7 प्रतिशत घटायें। सिर्फ 2-3 किलोग्राम वजन घटाने से भी बीमारी में बहुत अन्तर देखा जा सकता है।
  • ऐसी वस्तुयें खायें जिनका ग्लाइसीमिक इन्डैक्स कम हो, अर्थात् खाने में गेहूँ, धान्यबीज, कई तरह की फलियाँ, फल, रसेदार सब्जियाँ आदि इस्तेमाल करें। केवल सब्जियों के तेल का प्रयोग करें (अर्थात् जो सामान्य तापमान पर न जमें) (unsaturated fat)
  • सप्ताह में पाँच बार, आधे घण्टे के लिये तेज रफ्तार से सैर करें (या कोई व्यायाम करें)।

दूसरे स्तर की रोकथाम:

अगर आप मधुमेह पर पूरा नियंत्रण रखते हैं (ख़ून में शूगर, और चर्बी की मात्रा और ब्लड प्रेशर) और अपने डॉक्टर की सलाह के मुताबिक दवाइयों (जैसे ऐसप्रिन, स्टेटिन आदि) का सही इस्तेमाल करते हैं, तो आप इस बीमारी से बच सकते हैं।

तीसरे स्तर की रोकथामः

यदि आँख, गुरदे, दिल, खून की नाड़ियाँ और नसों में मधुमेह के कारण समस्या शुरू भी हो जायें, तो इनका जल्दी पता लगाने से आगे के नुकसान को रोका जा सकता है और इन अंगों को बचाया जा सकता है।

डायबिटीज की जांच:-

ब्लड शूगर का टैस्ट, खाना खाने के दो घण्टे बाद कराइये। यदि इस जाँच में शूगर 140 मिलीग्राम प्रतिशत से ज्यादा पाई जायें तो एक बार फिर जाँच कराये पहला जाँच सुबह बिना कुछ खाये और दूसरा 75 ग्राम ग्लूकोस खाने के दो घण्टे बाद।

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अगर ब्लड शूगर अभी सामान्य है तो भी इसकी हर साल जाँच करानी चाहिये। यदि जाँच में मधुमेह होने का ख़तरा, आई.जी.टी. (impaired glucose tolerance) पाया जाता है तो इसे अनदेखा नहीं करना चाहिये। अपनी जिन्दगी के तौर तरीकों में सही बदलाव लाने से मधुमेह से बचा जा सकता है।

इन्हें भी पढ़े :हिंदी साहित्य का इतिहास

 

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