आदिवासी समुदाय के सामाजिक व्यवस्था में घोटुल युवा गृह का महत्वपूर्ण स्थान होता है जिसे देश के विभिन्न आदिवासी क्षेत्रों में अलग अलग नामों से जाने जाते हैं। यह व्यवस्था इस समुदाय के धर्म गुरू पहांदी कुपार लिंगो ने वर्षो पहले ही कर दी थी।
घोटुल युवा गृह किसे कहते है – What is called Ghotul youth home
युवा गृह आदिवासी समुदाय के अविवाहित लड़कों एवं लड़कियों का एक ऐसा विद्या स्थल है जिसका कार्य उन्हें अपने समाज की संस्कृति से परिचय कराना तथा अपनी संस्कृति के अनुरूप उनके मानसिक विकास को सुनिष्चित करना है। जनजातीय संस्कृति की यह महत्वपूर्ण संस्था उनके सामाजिक संगठन का आधार है।” आदिवासी समुदाय में युवा गृह को गोंगा या घोटुल स्थल के नाम से भी जाना जाता है घोटुल बस्तर की सांस्कृतिक विरासत है घोटुल के निति नियम बहुत अनुशासित होता है

इस युवा गृह में सिर्फ नृत्य-गायन ही नहीं शिक्षा और सामाजिक समस्याओं का समाधान भी होता था। यह भी माना जाता है कि शायद पहले यह युवा गृह जैसी व्यवस्थित संगठन को देखकर ही अंग्रेजों को क्लब बनाने का विचार आया होगा।
युवा गृह को किन – किन नामो से जाना जाता है – By what names is the youth home known?
इन युवा गृहो को अलग अलग अंचल के अनुसार नक पांटे, जउल बुख, मोरंग, मंडा धर-दरबार या छगरी वासी, सेलिनी डिंगो, घोटुल, जन कुरूण, धन गर बस्सा, रंग बंग, कि चुकी, धंगर बस्सा और धुम कुरिया जैसे आदि नाम से जाना जाता हैं।
युवागृह की विशेषताएं एवं उदेश्य – Features and Objectives of Youth Home
- जादातर युवागृह गाँवों के बाहर जंगलो या खेतो में बने होते है
- युवा गृह एक झोंपड़ी नुमा होती है जिसे लकड़ी और घासफूस से बना होता है
- इसकी सदस्यता केवल अविवाहिक युवक युक्तियो को दिया जाता है
- वास्तव में युवागृह का वातावरण और उद्देश्य खेल-कूद और आमोद-प्रमोद के बीच सामूहिक जीवन के बारे में शिक्षा प्राप्त करने का होता है।
- युवागृह भोजन इकठ्ठा करने के कार्य में एक महत्वपूर्ण आर्थिक संगठन के रूप में कार्य करता है यंहा युवक युक्तियो को पशुपालन, खेती, खिलोने बनना जैसे अनेक आर्थिक कार्य सिखया जाता है।
- कुछ विद्वानों का कथन है कि युवागृह का एकमात्र उद्देश्य उसके सदस्यों के लिए जीवन-साथी को चुनना तथा उन्हें यौन-सम्बन्धी शिक्षा देना है।
- सभी आदिवासी जनजातियों की अपनी-अपनी अलग मान्यता एवं रीती रिवाज होती है जिनकी शिक्षा देने का कार्य युवागृह करता है, युवागृह युवक-युवतियों को सामाजिक तथा अन्य प्रकार के कर्तव्यों की शिक्षा देने का एक उपयोगी केंद्र है
- यूवागृह जादू ओर धर्म से संबंधी संस्कारो को करने एवं सिखाने का स्थान है|
- कुछ विद्वानों का कथन है कि युवागृह का एकमात्र उद्देश्य उसके सदस्यों के लिए जीवन-साथी को चुनना तथा उन्हें यौन-सम्बन्धी शिक्षा देना है।
- कुछ विद्वानों का यह भी मत है कि रात में अपनी बस्ती की हिंसक जानवरों तथा अन्य आक्रमणकारियों से रक्षा करने के लिए सब युवक और युवतियों को एक स्थान पर एकत्रित करने के उद्देश्य से ही युवागृहों की उत्पत्ति हुई।
युवागृह के प्रकार – types of youth homes
युवागृह दो प्रकार के होते है 1.एकलिंगीय यूवा गृह 2.द्विलिंगीय यूवा गृह
1.एकलिंगीय युवा गृह
एकलिंगीय ऐसे युवा गृह होते है जहां पर केवल एक लिंग के लोग लड़की या लड़का दोनों में से एक लिंग के लोग रहते है अगर इस युवा गृह में अविवाहित लड़के और लड़कियां दिन में जाकर शाम को या रात तक घर वापस आ जाते है। यह युवा गृह जादातर अबूझमािड़या जनजाति में पाया जाता है।
2.द्विलिंगीय युवा गृह
द्विलिंगीय यूवा गृह ऐसा युवा गृह होता है जहा दो अलग अलग लिंग के लोग रहते है जैसे लड़की लड़का दोनों ही लिंग के लोग इस युवा गृह में जाते है बस्तर के मुरिया(बुरिया) जनजाति में युवा गृह को घोटुल कहा जाता है जिसका विशेष महत्व होता है। गाँव के मध्य में स्थित घोटुल में अविवाहित युवक-युवतियां शाम को जाती है एवं रात भर वही रहती है।
घोटुल युवा गृह के नियम – Rules of Ghotul Youth Home
- प्रति दिन नियमित रूप से घोटुल में आना
- घोटुल के सदस्यों का आदर करना
- युवा गृह की प्रत्येक बात को गुप्त रखना युवा गृह के प्रत्येक सदस्य का कर्तव्य है
- घोटुल में अनुसासन बनये रखना
- घोटुल में प्रवेश के बाद सदस्यों के अलग नाम रखे जाते है
- युवा गृह में अनुशासन तोड़ने पर सजा का भी प्रवधान होता है
पहांदी कुपार लिंगो युवागृह के अराध्य देव – Presiding deity of Pahandi Kupar Lingo Youth Home
आदिवासी लोगो का मानना है की घोटुल युवा गृह में लिंगो देव का निवास करते है जो घोटुल युवा गृह के सृजनकर्ता है, माना जाता है की लिंगों देव एक बहुत बड़े महान संगीतज्ञ थे जो एक साथ 18 वाद्ययंत्र बजाते थे
निष्कर्ष – conclusion
आदिम जगत् में पाए जाने वाले इन युवागृहों का विश्लेषण करने पर यह ज्ञात होता है कि वास्तव में जनजातीय अनुशासन, सामाजिक व धार्मिक कार्य और कर्त्तव्य तथा पारस्परिक उत्तरदायित्व के सम्बन्ध में समाज के बालक और बालिकाओं को शिक्षा देने के उद्देश्य से ही इन युवागृहों की स्थापना की गई होगी। आधुनिक समाजों की भाँति आदिम समाजों में भी बच्चों को शिक्षित करने की कोई अन्य संगठित संस्था का नितान्त अभाव है। ऐसी अवस्था में युवागृहों के माध्यम से इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए ही उनकी स्थापना की गई युवा गृह वास्तव में सामाजिक संस्कृति जीवन की एक प्रमुख संस्था है। कुछ विद्वानों का कथन है कि अगर हमें जनजातियों के जीवन और संस्कृति के सम्बन्ध में वास्तविक ज्ञान प्राप्त करना है तो उनकी इस संस्था का विस्तृत अध्ययन सर्वप्रथम आवश्यक है।
FAQ.-
1.घोटुल किस जनजाति का युवागृह है
उतर – मुरिया जनजाति
2.युवागृह कितने प्रकार के होते है
उतर – युवागृह दो प्रकार के होते है 1.एकलिंगीय यूवा गृह 2.द्विलिंगीय यूवा गृह
3.गोंगा स्थल के नाम से किसे जाना जाता है
उतर – युवा गृह को
4.घोटुल युवा गृह के अराध्य देव किसे कहते हैं
उतर – पहांदी कुपार लिंगो
5.पहांदी कुपार लिंगो एक साथ कितने वाद्ययंत्र बजाते थे
उतर – 18 वाद्ययंत्र