आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक की दुनिया को एक नए युग में लेकर जा रहा है। AI के जितने फायदे हैं, उससे अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले समय में यह कार्य संस्कृति से लेकर सोचने के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव लेकर आएगा। AI के खतरे से चिंतित दुनिया – Open AI क्या है?

इसी के साथ इसके खतरे के प्रति भी तकनीक विशेषज्ञ चिंतित होने लगे हैं। Metaverse जैसे वर्चुअल संसार के tech world में अस्तित्व में आने के बाद Generative AI का और विस्तार होगा। मानव की तरह सोचने व उसकी accrued reactive क्षमता के चलते AI के संभावित खतरे के प्रति विश्व के तकनीक विशेषज्ञों ने खुला पत्र लिखा है, जिसमें इसके विनियमन की मांग की गई है।
AI आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या है – What is AI Artificial Intelligence
टैगमार्क के अनुसार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का मतलब सरल शब्दों में है, जटिल लक्ष्यों को हासिल करना जितना लक्ष्य जटिल होगा, उतनी ही ज्यादा इंटेलिजेंस यानी मेधा की जरूरत होगी। फिजिक्स का कोई नियम तकनीक को वे सारे काम करने से नहीं रोकता, जो मनुष्य कर सकता है। यह आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस (एजीआई) तकनीक वह सब सीख और सकती है, जो इंसान कर सकता है। और यह सब एक- डेढ़ दशक में हासिल होने वाला है।
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Open AI क्या है? – What is Open AI ?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से जुड़ी रिसर्च लैबोरेटरी Open AI आईएनसी, नॉन-प्रॉफिट संस्था है, जिससे जुड़ी ओपनएआई एलपी लाभकारी संस्था है। इसकी स्थापना 2015 में सैम अल्टमैन, एलन मस्क और कुछ अन्य व्यक्तियों ने सैन फ्रांसिस्को में की थी। फरवरी, 2018 में मस्क ने इसके बोर्ड से [ इस्तीफा दे दिया था, पर वे डोनर के रूप में इसके साथ बने रहे। इसके बाद माइक्रोसॉफ्ट और मैथ्यू ब्राउन कंपनी ने इसमें निवेश किया। इस साल माइक्रोसॉफ्ट ने इसमें 10 अरब डॉलर का एक और निवेश किया है।
आईआईटी दिल्ली में डिजिटल इंडिया डायलॉग्स कार्यक्रम में, अल्टमैन ने खुलासा किया कि प्रधानमंत्री मोदी के साथ उनकी मुलाकात मजेदार रही। पीएम मोदी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को लेकर उत्साहित हैं। अल्टमैन ने कहा कि उन्होंने उभरती प्रौद्योगिकी के डाउनसाइड्स यानी खतरों पर भी चर्चा की।
एआई इतना महत्वपूर्ण क्यों है? – Why is AI so important?
मशीन अब मनुष्य की तरह काम करने लगी है। आप संगीत- रचना रिकॉर्ड कर रहे हैं। उसके दोष दूर करता जाएगा। इससे रचनात्मकता के नए आयाम खुल रहे हैं। आप चाहते हैं कि पिकासो या रैम्ब्रां की शैली में कोई चित्र बनाएं, तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यह काम कर देगी, क्योंकि उसके पास सम्बद्ध कलाकार की शैली से जुड़ा छोटे से छोटा विवरण मौजूद है। उस जानकारी के आधार पर कम्प्यूटर चित्र बना देगा।
क्वांटम कम्प्यूटिंग का दौर भी आ रहा है। स्पीड की सीमाएं टूटने वाली हैं। हर तरह के डेटा एनालिसिस और क्रिकेट, हॉकी और फुटबॉल जैसे खेलों से जुड़े सॉफ्टवेयरों में इनका इस्तेमाल किया जा रहा है। एयर ट्रैफिक और नेवीगेशन तथा रक्षा उद्योग में मिसाइलों, सेंसरों और रडारों के साथ इस तकनीक को जोड़ा जा चुका है। ऐसे युद्धपोत तैयार हो रहे हैं, जो आत्मरक्षा का सम्पूर्ण प्रबंध खुद कर सकते हैं।
AI पर राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय विमर्श – National and International discussion on AI
Open AI के CEO सैम अल्टमैन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की, जिसके बाद प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया अंतर्दृष्टिपूर्ण बातचीत के लिए सैम अल्टमैन का धन्यवाद, हम उन सभी सहयोगों का स्वागत करते हैं, जो नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए हमारे डिजिटल बदलाव को गति दे सकते हैं।’ यह मुलाकात भले ही बड़ी खबर नहीं बनी हो, पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI इन दिनों तकनीकी – विमर्श के शिखर पर है। मई के महीने में जापान में हुई जी-7 की बैठक में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर विचार भी एजेंडा में शामिल था।

उन्हीं दिनों जब open AI ने IOS के लिए chat GPT लॉन्च किया, तब से इसका ज़िक्र काफी हो रहा है। Chat GPT Open AI द्वारा विकसित नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग मॉडल है। इसके बारे में विवरण पहली बार 2018 में एक शोधपत्र में प्रकाशित किया गया था।
इसे आप गूगल की तरह का एक टूल मान सकते हैं, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से प्रश्नों के जवाब देता है। जिसे मनुष्य जाति के लिए तकनीकी वरदान के साथ-साथ खतरा भी माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि यह तकनीक अंततः मनुष्य जाति के अस्तित्व के लिए खतरे पैदा कर सकती है। इसके खतरे को लेकर हाल के दिनों में कुछ दिग्गज तकनीकी विशेषों ने सरकारों को खुला पत्र लिखा है, जिसमें एआई के रेगुलेशन की मांग की है।
एआई का उद्देश्य क्या है? – What is the purpose of AI?
मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के प्रोफेसर और फ्यूचर ऑफ लाइफ इंस्टीट्यूट के सह-संस्थापक मैक्स टैगमार्क का विचार है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अल्टीमेट तकनीक के रूप में प्रकट होने का समय आ गया है। यह तकनीक भविष्य में होने वाले तमाम परिवर्तनों और नवोन्मेषों को जन्म देने जा रही है। ब्रह्मांड के पिछले 13.8 अरब वर्षों की सबसे बड़ी देन है मनुष्य जाति की प्राकृतिक क्रिया- कलाप पर विजय उसकी इस सामर्थ्य का अब और विस्तार होने वाला है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के नुकसान – Disadvantages of Artificial Intelligence
यह अंदेशा कंप्यूटर युग की शुरुआत में ही व्यक्त किया गया था कि जब मशीनें मनुष्य का स्थान लेने लगेंगी, तब उसका विस्तार एक दिन इंसान के अंत के रूप में भी हो सकता है। अब विशेषज्ञ खुलकर कह रहे हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से इंसानी वजूद को खतरा हो सकता है। उसका हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। मसलन ड्रग डिस्कवरी टूल्स की मदद से रासायनिक हथियार बनाए जा सकते हैं।
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गलत जानकारियां अस्थिरता पैदा करेंगी। साथ ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया प्रभावित होगी। AI की ताक़त थोड़े से हाथों में सिमटने का खतरा भी है। सरकारें बड़े पैमाने पर लोगों की निगरानी करने और दमनकारी सेंसरशिप के लिए इस्तेमाल करेंगी। मनुष्य AI पर निर्भर होकर जबर्दस्त आलसी बन जाएंगे और मशीनें अमर होने के तरीके खोज लेंगी, जैसा पिक्सेल फ़िल्म ‘वॉल ई’ जैसी फिल्मों में दिखाया गया है।
AI की अगली पीढी के विकास पर रोक – Restrictions on the development of the next generation of AI
इस साल मार्च में एलन मस्क और कुछ विशेषज्ञों ने एक खुला ख़त लिखा, जिसमें इस तकनीक के अगली पीढ़ी के विकास को रोकने की गुजारिश की गई है। पत्र में सवाल किया गया है कि क्या हमें ऐसे गैर-इंसानी दिमाग तैयार करने चाहिए जो हमसे आगे निकल जाएं? हमसे ज्यादा स्मार्ट हों और हमारी जगह ले लें ? ओपनएआई, गूगल डीपमाइंड, एंथ्रॉपिक और दूसरी एआई प्रयोगशालाओं ने चेतावनी दी है कि यह खतरा महामारियों और नाभिकीय युद्ध जैसा है।
इन तीनों संस्थाओं के 350 से ज्यादा अधिकारियों ने एक खुले खत में कहा है कि सुपरइंटेलिजेंस को नाभिकीय ऊर्जा की तरह नियंत्रित किया जाना चाहिए। यह तकनीक मनुष्य के मस्तिष्क में काम करने वाले करोड़ों-अरबों न्यूरॉन्स की ‘डीप लर्निंग’ के सिद्धांत पर काम करती है। शुरू में लगता था कि इसकी भी सीमा है, पर हाल में विकसित ‘फाउंडेशन मॉडल्स’ ने साबित किया है कि पहले से कई गुना जटिल ‘डीप लर्निंग’ संभव है।
क्या एआई इंसानों के लिए खतरा है? – Is AI a threat to humans?
सवाल है कि जब तकनीक वह सब कर सकती है, जो मनुष्य कर सकता है, तब क्या एक दिन मनुष्य इस तकनीक का गुलाम नहीं हो जाएगा? कुछ साल पहले हिब्रू यूनिवर्सिटी, यरुशलम के इतिहासकार प्रो युवाल हरारी ने लिखा था कि एक संभावना है कि अंततः यह कृत्रिम मेधा मनुष्य के वर्चस्व को खत्म कर देगी। उनके अनुसार बुद्धिमत्ता और चेतना का अटूट गठबंधन टूटने के कगार पर है।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर है कि एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रोग्राम ने अपने आप बांग्ला भाषा में काम करना सीख लिया। जिस तरह बच्चे भाषा और बहुत सी बातें कैसे सीख जाते हैं, उसका पता नहीं लगता, वैसे ही यह परिघटना रोचक है और खतरनाक भी हम मानकर चलते हैं कि मशीन के पीछे मनुष्य की बुद्धि काम करती है, पर जब मशीन खुद फैसले करने लगेगी, तब सवाल खड़े होंगे। AI के खतरे से चिंतित दुनिया – Open AI क्या है?

अब इसके नियमन की बातें शुरू हो गई हैं। एक तरफ इसके दुरुपयोग की आशंका है, तो दूसरी तरफ खतरा यह भी है कि दुनिया की सरकारें नागरिकों के निजी जीवन में और ज्यादा हस्तक्षेप करेंगी। सच यह है कि इस सिलसिले में ज्यादातर रिसर्च निजी क्षेत्र में हुई है। इंटरनेट की पूरी व्यवस्था निजी हाथों में है। इससे एक दूसरा खतरा यह भी पैदा हो रहा है कि दुनिया की व्यवस्था कुछ कंपनियों के हाथों में सिमटती जा रही है।
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Ai पर सरकार की गंभीरता – Government’s seriousness on Ai
शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि सरकार बहुत जल्द एआई के लिए नए नियम ला सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि नया डिजिटल पर्सनल डेटा संरक्षण विधेयक बिल बहुत जल्द संसद में पेश किया जाएगा। इंटरनेट को ओपन, सेफ और डिजिटल नागरिक की सुरक्षा के लिए हमने कानूनी पहल शुरू की है। दुनिया में भारत सबसे ज्यादा कनेक्टेड देश है. और हम भारत को सबसे सुरक्षित और विश्वसनीय देश बनाना चाहते हैं। सरकार ने 2019 में बिल पेश किया था, बाद में वापस ले लिया।
अब उस बिल को नए जरूरतों के हिसाब से बदल करके ला रही है। उन्होंने कहा कि इंटरनेट में जहरीली बातें और आपराधिक गतिविधियां बढ़ी हैं। डॉकिंग (गलत मंशा से और किसी की सहमति के बिना इंटरनेट पर व्यक्तियों की निजी जानकारी पोस्ट करना) जैसे अपराध बढ़े हैं। एआई के दौर में ये खतरे और बढ़ेंगे।
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