*** Chandrayaan-3 ***
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन,(ISRO) अपने तीसरे चंद्र मिशन `Chandrayaan-3‘ को जुलाई माह में लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है। जिसका इंतजार पुरे देश को है। भारत का चन्द्र मिशन कई मायनो में खास है। क्योकि यह हमरा तीसरा चन्द्र मिशन होगा। इससे संबंधित कई हार्डवेयर और विशेष उपकरणों की परीक्षण को पूरा कर लिया गया है।
भारत का पहला मिशन चंद्रयान कब लांच हुआ?
22 अक्टूबर 2008 को भारत ने अपना पहला चन्द्र मिशन चंद्रयान-1 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। जिसे PSLV-C11 द्वारा अन्तरिक्ष में भेजा गया था। इसी मिशन द्वारा चाँद पर पानी की खोज किया गया था।
चंद्रयान-2 मिशन कब लांच हुआ
22 जुलाई 2019 यही ओ तारिक है जब भारत ने अपना दूसरा चन्द्र मिसन चंद्रयान-2 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। इस मिशन को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से GSLV Mark-3 रॉकेट द्वारा लॉन्च किया गया था। इस मिशन का उदेश्य रोवर को चाँद के लूनर पोल के साऊथ सर्पेश पर सॉफ्ट लेंडिंग करना था ताकि वह के वातावरण का अधीयान किया जा सके। चंद्रयान-2 का कुल वजन 3.8 टन था, इसको मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा गया था। (1) ऑर्बिटर (2) लैंडर (3) रोवर , चंद्रयान-2 के लैंडर का नाम विक्रम रखा गया था। और रोवर का नाम प्रज्ञान रखा गया था।
- चंद्रनयान 2 के आर्बिटर का काम 100किलोमीटर की कक्षा से चंद की निगरानी करना था।
- जबकि लेंडर को चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए तैयार किया गया था।
- Chandrayaan-2 लैंडर का नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) के जनक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया था।
- Chandrayaan-2 के रोवर का नाम प्रज्ञान रखा गया था।
चंद्रयान-2 की हार्ड लेंडिंग
7 सितम्बर 2019 को जिस दिन चंद्रयान-2 के लेंडर को चाँद पर लेंड करना था , लेंडिंग के समय सेंसर और बूस्टर में तकनीकी खराबी आने के कारण लेंडर की हार्ड लेंडिंग हुई और लेंडर से इसरो का सम्पर्क टूट गया। इसके बाद कभी भी लेंडर या रोवर से सम्पर्क नहीं हो पाया।
चंद्रयान-3 कब लॉन्च होगा
चंद्रयान-3 का काम अब पूरा हो चूका है इसकी लॉन्चिंग 14 July 2023 में होना है। इसकी लॉन्चिंग पिछले साल होना था, लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसकी लॉन्चिंग नहीं हो पाई, इस मिशन में चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर की मदत लिया जायेगा क्योकि चंद्रयान-2 के लेंडर के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद इसका ऑर्बिटर अभी तक सुरक्षित रूप से कार्य कर रहा है। चंद्रयान-3 के सभी जरुरी परीक्षण पूरी कर लिए गए है। इसके जादातर प्रोग्राम्स Automatic होंगे, इसमें अधिक सेंसरो का प्रयोग किया जायेगा।
चंद्रयान-3 चाँद के सतह से 7 किलोमीटर दूर से ही लेंडिंग की प्रक्रिया सुरु कर देगा इसके बाद 2 किलोमीटर की उचाई पर आते ही इसके सभी सेंसर काम करना सुरु कर देंगे सेंसर के अनसुर ही लेंडर अपनी दिशा, गति और अपनी लेंडिंग साईट का निर्धारण करेगा इस बार इसरो वैज्ञानिक लेंडिंग में किसी प्रकार की गलती करना नहीं चाहते, क्योकि चंद्रयान-2 में सेंसर और बूस्टर में तकनीकी खराबी आने के कारण चंद्रयान-2 की हार्ड लेंडिंग हो गई थी। इस बार वैज्ञानिक चाहते है की लेंडर का संपर्क ऑर्बिटर और रोवर से बना रहे ताकि लेंडर सुरक्षित रूप से लेंड कर सके।
GSLV-MK3 रॉकेट
चन्द्रयान-3 को GSLV-MK3 रॉकेट से लॉन्च किया जायेगा। यह इसरो के सबसे पॉवरफूल रॉकेट में से एक है इस रॉकेट की Success rate 100% है अबतक इसे 4 मिशन लॉन्च किए जा चुके हैं जिसमे सभी मिशन सफल रहे है। आने वाले समय में इसरो के गगनयान मिशन को इसी रॉकेट से लॉन्च किया जायेगा। Chandrayaan-3 को श्री हरिकोटा स्थित सतीस धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जायेगा। बताने की जरूरत नहीं है की यह हमरे लिए कितना इतिहासिक वक्त होगा। जिसपर पूरा देश गर्व करेगा।
अगर इसरो चंद्रयान-3 की चांद पर शोफ्ट लैंडिंग करा लेती है तो वह ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा क्योंकि दुनिया में अब तक 3 देश (अमेरिका, चीन, रूस) ही चांद पर सफल शोफ्ट लैंडिंग कर पाये है।
इसरो इस साल चंद्रयान-3 के साथ 19 अन्य मिशनो पर काम करने की योजना बनाई है।
(ISRO) इसरो की स्थापना कब और किसने की?
भारत में आधुनिक अन्तरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई है, जिन्होंने कम बजट में उच्च अन्तरिक्ष तकनी हासिल करने में सफलता हासिल किया। भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन ISRO जिसका मुख्यालय बेंगलुरु (कर्नाटक) में है इसकी स्थपना 15 अगस्त 1969 में हुआ था।
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DEEPAK says
NICE LOLEDGEBLE
Panda says
Very nice information 😉